जम्मू, जिसे "उत्तर भारत का प्रवेश द्वार" कहा जाता है, अपनी धार्मिक महत्ता, पर्यटन स्थलों और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यहाँ हर साल लाखों श्रद्धालु माता वैष्णो देवी के दर्शन करने आते हैं और साथ ही हिल स्टेशन की यात्रा का आनंद लेते हैं। लेकिन हाल के दिनों में मौसम की बदलती परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं ने इस क्षेत्र के लोगों और यात्रियों दोनों के सामने नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।
आज जम्मू का मौसम मिश्रित रूप में सामने आ रहा है। जहाँ सुबह और दिन के समय हल्की धूप और बादल एक साथ देखने को मिले, वहीं शाम के समय बारिश और ठंडी हवाओं ने माहौल को बदल दिया। स्थानीय लोगों के लिए यह मौसम राहत भी लाता है और चिंता भी, क्योंकि लगातार होने वाली बारिश से भूस्खलन और बाढ़ जैसी आपदाएँ सामने आने लगी हैं।
जम्मू का वर्तमान मौसम
मौसम विभाग के अनुसार, जम्मू में आज का अधिकतम तापमान 31°C से 32°C और न्यूनतम तापमान 23°C तक दर्ज किया गया। दिन के समय उमस और गर्माहट महसूस हुई, लेकिन शाम ढलते ही मौसम सुहावना हो गया। हल्की-फुल्की बारिश और ठंडी हवाओं ने लोगों को राहत दी।
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हवा की गति: 8 किलोमीटर प्रति घंटा तक
जम्मू का मौसम फिलहाल संतुलित दिखाई दे रहा है, लेकिन लगातार हो रही बारिश से हालात बदलते रहते हैं। कभी-कभी तेज़ बारिश अचानक से पूरे क्षेत्र को प्रभावित कर देती है।
प्राकृतिक आपदाओं का खतरा
जम्मू में हाल की बारिश ने प्राकृतिक आपदाओं की आशंका को बढ़ा दिया है। पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही वर्षा के कारण भूस्खलन आम हो गया है। सड़कों पर जगह-जगह पत्थर और मिट्टी खिसकने से यातायात बाधित हुआ है। कई ग्रामीण क्षेत्रों का संपर्क मुख्य सड़कों से टूट गया है।
नदियों और नालों का जलस्तर भी बढ़ने लगा है। यह स्थिति स्थानीय लोगों के साथ-साथ यात्रियों के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है। प्रशासन ने संवेदनशील क्षेत्रों में अलर्ट जारी किया है और लोगों को नदी-नालों के किनारे जाने से मना किया है।
बारिश से सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में पहाड़ी मार्ग आते हैं, जहाँ छोटे-छोटे भूस्खलन रोज़ाना की समस्या बन गए हैं। यात्रियों को अपनी यात्रा योजना बदलनी पड़ रही है और कई लोग रास्तों में फँस भी गए हैं।
आम जनजीवन पर असर
लगातार बारिश और प्राकृतिक आपदाओं का असर जम्मू के आम जनजीवन पर साफ दिखाई देता है। स्थानीय लोगों को रोज़मर्रा की ज़रूरतों के लिए बाहर निकलने में कठिनाइयाँ झेलनी पड़ रही हैं। कुछ गाँवों का मुख्य बाज़ारों और शहरों से संपर्क टूट जाने के कारण दवाइयों और खाद्य सामग्री की कमी भी महसूस की जा रही है।
पर्यटन पर भी इसका सीधा असर पड़ा है। जम्मू-कश्मीर का पर्यटन उद्योग, जो राज्य की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान देता है, इन दिनों प्रभावित हो रहा है। माता वैष्णो देवी यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं को भी मौसम की वजह से कई बार रुकना पड़ता है।
यात्रियों और स्थानीय लोगों के लिए सुझाव
इस समय यात्रियों और स्थानीय निवासियों दोनों के लिए सतर्क रहना बेहद ज़रूरी है।
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पहाड़ी मार्गों पर यात्रा करते समय सावधानी बरतें और मौसम की जानकारी लगातार लेते रहें।
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नदी और नालों के किनारे जाने से बचें, क्योंकि अचानक जलस्तर बढ़ सकता है।
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प्रशासन द्वारा जारी अलर्ट और निर्देशों का पालन करें।
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गाड़ी चलाते समय खास सतर्कता रखें, क्योंकि सड़कों पर फिसलन दुर्घटनाओं का कारण बन सकती है।
सरकार और प्रशासन की तैयारी
जम्मू प्रशासन ने लगातार बारिश और भूस्खलन से निपटने के लिए राहत दलों को सक्रिय कर दिया है। आपदा प्रबंधन टीम प्रभावित इलाकों में काम कर रही है। जहाँ रास्ते बाधित हुए हैं, वहाँ मलबा हटाने का कार्य चल रहा है। साथ ही, जिन परिवारों के घर क्षतिग्रस्त हुए हैं, उन्हें अस्थायी आश्रय और भोजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
सरकार का ध्यान इस समय दो मुख्य पहलुओं पर है – पहला, लोगों की सुरक्षा और राहत कार्य, और दूसरा, क्षतिग्रस्त ढाँचों की मरम्मत। राज्य और केंद्र सरकारें मिलकर आपदा प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति सामान्य करने की कोशिश कर रही हैं।