E20 Fuel का सच: क्या आपकी कार सुरक्षित है या नुकसान तय है?

 भारत सरकार ने E20 नीति (20% एथेनॉल + 80% पेट्रोल) लागू कर दी है। सरकार का दावा है कि इससे भारत का आयात बिल घटेगा, किसानों को नया बाजार मिलेगा और प्रदूषण पर काबू मिलेगा। लेकिन असली सवाल यह है कि — क्या भारत के वाहन इस बदलाव के लिए तैयार हैं या इसका बोझ सीधा जनता की जेब पर पड़ेगा?


Brazil से सीख: Flex Fuel System

दुनिया में सबसे बड़ा उदाहरण Brazil का है। वहाँ सालों से E20-E25 blends आमतौर पर इस्तेमाल हो रहे हैं और कुछ वाहनों में E100 (पूरी तरह एथेनॉल) भी उपलब्ध है।

Brazil ने शुरुआत से ही flex-fuel इंजन बनाए, यानी ऐसे इंजन जो किसी भी blend (E0 से E100) पर चल सकते हैं। वहां ग्राहकों के पास विकल्प होता है — किस ईंधन पर गाड़ी चलानी है। यही वजह है कि वहां गाड़ियों की performance पर बड़ा असर नहीं पड़ा।

👉 लेकिन भारत का हाल अलग है। हमारे यहाँ ज्यादातर पुराने मॉडल केवल E10 तक calibrated हैं।https://en.wikipedia.org/wiki/Flexible-fuel_vehicles_in_Brazil

भारत में E20: सरकार का दावा

पेट्रोलियम मंत्रालय और Press Information Bureau (PIB) का कहना है कि E20 से इंजन लाइफ पर कोई गंभीर असर नहीं होगा।
उन्होंने माना कि कुछ पुराने वाहनों में माइलेज और performance में मामूली गिरावट आ सकती है।
Supreme Court ने भी याचिका खारिज की जिसमें कहा गया था कि सरकार को “E20-free petrol” का विकल्प देना चाहिए।                                                                             https://www.ndtv.com/auto/supreme-court-dismisses-pil-challenging-e20-rollout-demand-for-e0-petrol-9195107
  • पुराने वाहन मालिकों के लिए खतरे

    अगर आपकी कार E20-ready नहीं है, तो आपको इन दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है:

    • माइलेज गिरना: 4–8% तक कम efficiency।

    • इंजन पार्ट्स खराब होना: fuel hoses, seals और gaskets तेजी से degrade हो सकते हैं।

    • Driving experience बदलना: acceleration response धीमा पड़ सकता है।

    • Maintenance खर्च बढ़ना: fuel injectors और spark plugs को ज्यादा बार बदलना पड़ सकता है।


    ऑटो इंडस्ट्री: तैयारी अधूरी क्यों?

    2023 से कई कंपनियों ने E20-ready मॉडल लॉन्च करने शुरू कर दिए। Honda और Toyota ने दावा किया कि उनके नए मॉडल E20-compatible हैं। लेकिन Mahindra जैसी कंपनियों ने साफ कहा है कि पुराने मॉडल sudden shift से प्रभावित होंगे।

    इसका मतलब है कि भारत में policy तो लागू हो गई, लेकिन ज्यादातर कारें तैयार नहीं थींhttps://www.reuters.com/sustainability/climate-energy/e20-fuel-safe-curbs-vehicle-performance-mahindra-executive-says-2025-09-11

    फायदे भी हैं, अगर system सही चले

    • किसानों को एथेनॉल से आमदनी बढ़ेगी।

    • कार्बन उत्सर्जन में गिरावट आएगी।

    • Import bill घटेगा, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी।

    लेकिन इसके लिए fuel stations पर सही labeling और blending की जानकारी होना बेहद जरूरी है।


    उपयोगकर्ताओं को क्या करना चाहिए?

    अगर आपके पास पुरानी कार है तो ये कदम उठाना जरूरी है:

    1. अपने मॉडल की company website/manual देखिए कि E20-compatible है या नहीं।

    2. Service schedule फॉलो कीजिए — spark plugs और filters समय पर बदलें।

    3. Fuel station पर यह confirm करें कि pump पर सही “E20” labeling है।

    4. Performance में भारी गिरावट दिखे तो company workshop से चेक कराएँ।


    तुलना: नए बनाम पुराने वाहन

    वाहन प्रकारअनुमानित माइलेज घटावसंभावित खर्च / बदलाव
    नए मॉडल (2023 से आगे, E20-ready)2–3% तक गिरावटकेवल seals / hoses की चेकिंग
    पुराने मॉडल (2010–2022)4–8% तक गिरावटfuel system cleaning, पार्ट्स replacement, warranty पर असर

    निष्कर्ष: जनता तैयार नहीं, नीति आगे बढ़ गई

    E20 fuel नीति भारत के लिए long-term में फायदेमंद है। लेकिन ground reality यह है कि:

  •  ज्यादातर पुराने वाहन calibrated नहीं हैं।
  • सरकार ने petrol pumps पर “E20 बनाम Regular Petrol” का विकल्प नहीं रखा।
  • जनता को पूरी जानकारी और समय नहीं दिया गया।
  • 👉 इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा — माइलेज घटेगा, maintenance खर्च बढ़ेगा और resale value भी प्रभावित हो सकती है।

    फिलहाल कार मालिकों को चाहिए कि वे updated servicing करें और यह confirm करें कि उनका वाहन E20-ready है या नहीं। अगर सरकार और manufacturers clarity देंगे, तभी यह नीति सही मायनों में सफल होगी।

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