हरियाणा में शिक्षा विभाग ने बड़ा और सख्त कदम उठाया है। राज्य के करीब 2,808 प्राइवेट स्कूलों का MIS पोर्टल ब्लॉक कर दिया गया है। वजह यह है कि इन स्कूलों ने RTE (Right to Education) एक्ट के तहत गरीब और कमजोर वर्ग (EWS) के बच्चों के लिए आरक्षित सीटों का डेटा समय पर अपडेट नहीं किया।
मामला क्या है?
हरियाणा शिक्षा विभाग ने सभी प्राइवेट स्कूलों को पहले से ही आदेश दिए थे कि वे अपनी EWS सीटों की जानकारी पोर्टल पर डालें।
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कई स्कूलों को पहले चेतावनी दी गई।
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कुछ पर ₹30,000 से ₹70,000 तक जुर्माना भी लगाया गया।
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लेकिन समय बीतने के बाद भी जब डेटा अपडेट नहीं हुआ, तो विभाग ने पोर्टल ही ब्लॉक कर दिए।
इसका मतलब यह है कि अब ये स्कूल:
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नए एडमिशन नहीं ले सकते।
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एफिलिएशन (मान्यता संबंधी काम) नहीं करा सकते।
कितने स्कूल प्रभावित हुए?
श्रेणी | संख्या / विवरण |
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नोटिस मिलने वाले प्राइवेट स्कूल | 2,808 |
लगाए गए जुर्माने | ₹30,000 – ₹70,000 तक |
प्रभावित प्रक्रिया | एडमिशन और एफिलिएशन |
स्कूलों की स्थिति | डेटा अपलोड करने तक पोर्टल ब्लॉक |
EWS सीट क्यों जरूरी है?
RTE एक्ट 2009 के मुताबिक, देशभर के सभी प्राइवेट स्कूलों को अपनी 25% सीटें गरीब और कमजोर वर्ग (EWS) के बच्चों के लिए रिज़र्व करनी होती हैं।
इसका मकसद है:
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गरीब बच्चों को भी अच्छी शिक्षा का मौका मिले।
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समाज में शिक्षा को लेकर बराबरी हो।
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शिक्षा का स्तर केवल पैसे वालों तक सीमित न रहे।
हरियाणा में भी यही नियम लागू है, लेकिन कई प्राइवेट स्कूल अक्सर इस प्रावधान का सही तरीके से पालन नहीं करते।
शिक्षा विभाग का रुख
शिक्षा विभाग का कहना है कि EWS सीटों का डेटा अपलोड करना हर स्कूल की जिम्मेदारी है। जब तक स्कूल इस नियम का पालन नहीं करेंगे, उनके पोर्टल अनलॉक नहीं किए जाएंगे।
विभाग के अधिकारियों का मानना है कि यह सख्त कदम इसलिए जरूरी था क्योंकि:
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अगर स्कूल समय पर डेटा अपडेट नहीं करेंगे, तो पूरी प्रक्रिया की पारदर्शिता खत्म हो जाएगी।
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इससे गरीब बच्चों के अधिकारों पर सीधा असर पड़ेगा।
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साथ ही, सरकार के लिए यह ट्रैक करना मुश्किल हो जाएगा कि वास्तव में कितने बच्चों को EWS श्रेणी में एडमिशन मिला है।
स्कूल प्रबंधन की दलीलें
कई स्कूल प्रबंधन का कहना है कि:
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तकनीकी गड़बड़ी की वजह से डेटा अपलोड नहीं हो पाया।
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पोर्टल ब्लॉक करने से बच्चों का एडमिशन अटक जाएगा।
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विभाग को थोड़ा और समय देना चाहिए था।
लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिर्फ बहाना है, क्योंकि ज्यादातर स्कूल EWS सीटों को लेकर गंभीर नहीं रहते।
माता-पिता और अभिभावकों की चिंता
कई अभिभावकों ने कहा कि अगर स्कूलों का पोर्टल ब्लॉक रहेगा तो बच्चों के एडमिशन में दिक्कत आएगी।
लेकिन दूसरी ओर, गरीब माता-पिता इसे एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं। उनका कहना है कि:
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अब प्राइवेट स्कूल मजबूर होंगे EWS सीट देने के लिए।
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गरीब बच्चों को भी बेहतर शिक्षा का हक़ मिलेगा।
बड़ा सवाल: बच्चों का क्या होगा?
यहां सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस कार्रवाई से बच्चों पर क्या असर होगा?
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क्या जिन बच्चों ने इन स्कूलों में एडमिशन की तैयारी की है, उनका भविष्य अटक जाएगा?
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क्या स्कूल और सरकार कोई बीच का रास्ता निकाल पाएंगे?
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों का भविष्य प्रभावित न हो, इसके लिए सरकार को जल्द समाधान निकालना चाहिए।
मुख्य संदेश
हरियाणा सरकार का यह कदम शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने की दिशा में अहम है।
हालांकि इससे कुछ समय के लिए छात्रों को परेशानी हो सकती है, लेकिन लंबे समय में यह कदम गरीब और वंचित वर्ग के लिए फायदेमंद साबित होगा।
जब तक स्कूल अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करेंगे, उनका पोर्टल ब्लॉक रहेगा। और यही संदेश है कि अब EWS सीटों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं होगी।